हल्द्वानी। उज्जैन स्थित महाकाल की नगरी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सप्तऋषि अखाड़ा परिषद के संत समागम सम्मेलन में देवभूमि उत्तराखंड के लिए गौरवपूर्ण क्षण उस समय आया जब जागेश्वर धाम के मुख्य पुजारी हेमन्त भट्ट को वैदिक विधि-विधान से पट्टाभिषेक कर महामण्डलेश्वर की पट्टी प्रदान की गई और उन्हें अखाड़ा परिषद की नवगठित कार्यकारिणी में अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री के पद पर नियुक्त किया गया। यह सम्मान परिषद के संस्थापक सच्चिदानंद बालप्रभु महाराज, जगद्गुरु अवधेश प्रपन्नाचार्य महाराज और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ऋषि हर मनोज दास गुरुजी के पावन सान्निध्य में प्रदान किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड के जागेश्वर धाम से ऋषिवर कृष्ण चन्द्र काण्डपाल को अंतर्राष्ट्रीय अखाड़ा परिषद का राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया गया। महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 कैलाशानंद महाराज के उत्तराखंड आगमन पर आयोजित स्वागत समारोह में भक्तजनों ने पुष्पमालाओं और शॉल के साथ उनका भव्य अभिनंदन किया। इस दौरान नव नियुक्त राष्ट्रीय प्रवक्ता कृष्णचन्द्र काण्डपाल का भी परिषद पदभार ग्रहण करने पर सम्मान किया गया। स्वयं महामण्डलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने उन्हें शॉल ओढ़ाकर शुभकामनाएं दीं और विश्वास जताया कि वे अखाड़ा परिषद के उद्देश्यों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे।
स्वागत समारोह के दौरान महामण्डलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने देवभूमि उत्तराखंड में शीघ्र ही कार्ययोजनाओं के प्रारंभ की घोषणा करते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद गुरुकुल परंपरा, धर्मशास्त्र, शस्त्र विद्या, गौसेवा, धर्मांतरण रोकने, संस्कृत शिक्षा और धार्मिक आयोजनों को संगठित करने की दिशा में ठोस कदम उठाएगा। राष्ट्रीय प्रवक्ता कृष्ण चन्द्र काण्डपाल ने इस बात को दोहराया कि वे देवभूमि के चारधामों, प्रमुख मंदिरों, पूजारियों और संतों को अखाड़ा परिषद से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे ताकि सनातन धर्म की रक्षा और अखाड़ा परंपरा की गरिमा अक्षुण्ण बनी रहे। उल्लेखनीय है कि सप्तऋषि अखाड़ा की स्थापना 1825 में श्री योगीराज निर्वाणदेव महाराज द्वारा हरिद्वार में की गई थी, जिसका प्रमुख उद्देश्य सभी 13 अखाड़ों में समन्वय स्थापित करते हुए धर्मसंरक्षण और संगठन को सशक्त बनाना है। स्वागत समारोह में कई प्रमुख संत और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें गोपेश्वरनाथ मंदिर बरेली के श्रीमन्त घनश्याम जोशी, आचार्य विष्णु शुक्ला, फार्मेसी अधिकारी रजनीश जोशी, प्रकृति दीक्षा नर्सरी के देवेन्द्र महरा, गोविन्द उपाध्याय, श्री पुष्कर सिंह, डॉ. संदीप गौड़, दीपक धौनी, आचार्य अमित, श्री विजय सनवाल आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।






