हल्द्वानी। झांसी के एक अस्पताल में हाल ही में हुई भीषण अग्निकांड के बाद सुशीला तिवारी अस्पताल प्रशासन ने अपनी अग्नि सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर लिया है। अस्पताल में आग से बचाव के लिए किए गए सुधारात्मक उपायों को लेकर अब सुरक्षा इंतजाम और भी सख्त कर दिए गए हैं, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य अरुण जोशी ने कहा कि झांसी में हुई अग्नि घटना बेहद दुखद थी, और अस्पताल प्रशासन इसे लेकर पूरी तरह सजग है। जोशी ने बताया कि अस्पताल में आग लगने से न केवल सामान्य स्थानों की तुलना में अधिक खतरा होता है, बल्कि इससे निपटना भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके बावजूद, उन्होंने आश्वस्त किया कि अस्पताल में सुरक्षा के सभी उपाय पूरी तरह से दुरुस्त हैं। अस्पताल प्रशासन समय-समय पर अस्पताल का रूटीन इंस्पेक्शन करता है और अग्निशमन विभाग के साथ मिलकर मॉक ड्रिल्स भी आयोजित करता है, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सके। अस्पताल के फायर कंट्रोल रूम में तैनात रवि पाल ने बताया कि अस्पताल में अग्नि सुरक्षा को लेकर पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। सभी वार्डों में अग्निशमन उपकरणों की व्यवस्था की गई है और नियमित अंतराल पर कर्मचारियों को अग्नि सुरक्षा की ट्रेनिंग दी जाती है।
साथ ही, उन्होंने बताया कि अस्पताल में एक पूरी तरह से सुसज्जित फायर कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है, जहां से पूरे अस्पताल की निगरानी की जाती है, ताकि आग की घटना होने पर तत्काल कार्रवाई की जा सके। मुख्य अग्निशमन अधिकारी (CFO) गौरव किरार ने कहा कि हल्द्वानी शहर में कुल 58 अस्पतालों को फायर विभाग से एनओसी प्राप्त है। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि नए अस्पतालों को तभी एनओसी दी जाती है, जब उनके पास मानक के अनुसार अग्निशमन व्यवस्था होती है। अगर कोई अस्पताल अग्निशमन व्यवस्था में कमी पाता है, तो उसे नोटिस जारी किया जाता है और उन्हें इसे सुधारने के लिए समय दिया जाता है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि अस्पतालों के कार्मिकों को नियमित रूप से अग्निशमन प्रशिक्षण दिया जाता है, और बड़े अस्पतालों में हर साल या छह महीने में मॉक ड्रिल्स आयोजित की जाती हैं, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कर्मी तैयार रहें। इस प्रकार, सुशीला तिवारी अस्पताल और अन्य अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों को लेकर प्रशासन पूरी तरह से सजग है और अस्पतालों के कार्मिकों को भी इस दिशा में समय-समय पर प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि किसी भी प्रकार की अग्नि घटना से निपटने में कोई भी चूक न हो।