देहरादून। देश भर में लोगों को फोन कॉल कर खुद को बैंक कर्मी बताते हुए निशुल्क क्रेडिट कार्ड देने का झांसा देकर ऑनलाइन ठगने वाले एक गिरोह के सरगना को उत्तराखंड एसटीएफ ने हरिद्वार से गिरफ्तार किया है। एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि विगत कुछ समय से देशभर में केडिट कार्ड के नाम पर फर्जी कॉल कर उनसे धोखाधड़ी किये जाने की घटनाओं के दृष्टिगत, गृह मन्त्रालय के 14सी के विभिन्न वेब पोर्टलो का अवलोकन किया गया। जिससे पता चला कि क्रेडिट कार्ड आदि के नाम से धोखा देकर, आनॅलाईन ठगी कर लाखों रूपये हड़पने की 22 घटनाओं में संलिप्त गिरोह वर्तमान में जनपद हरिद्वार क्षेत्रार्न्तगत् थाना सिडकुल में सक्रिय है। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान, विभिन्न मोबाईल नम्बरों के डेटा का विश्लेषण किया गया।
साथ ही, प्रकाश में आये संदिग्ध बैंक एकाउंटस के लेन देन का विवरण चैक किया गया तो पाया कि इन संदिग्ध बैंक खातों में राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल और देशभर के अन्य राज्यों से अलग-अलग लोंगो के बैंक खाते से पैसा गिरोह के खातो में निरन्तर स्थानान्तरित किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि इनके संदिग्ध खातो में पिछले कुछ महीनो में में 70 लाख रुपये का लेन-देन पाया गया। इसके पश्चात, गिरोह की सटीक सूचना पर एसटीएफ टीम ने मोहल्ला रामनगर, ग्राम रावली महदूद थाना सिडकुल, हरिद्वार में एक घर में सोमवार रात्रि छापा मारा। उन्होंने बताया कि वहां से एक व्यक्ति विपिन पाल पुत्र बृजपाल, मूल स्थायी पता ग्राम पिन्डोरा, जहांगीरपुर, थाना झिंझाना, जिला शामली, उत्तर प्रदेश, उम्र 26 वर्ष को गिरप्तार किया गया।
एसएसपी अग्रवाल ने बताया कि उससे छह मोबाईल फोन, चार मोबाईल फोन के खाली डिब्बे, एक कम्प्यूटर मोनिटर, एक सीपीयू, 14 डेबिट कार्ड, तीन रजिस्टर व एक आईसीआईसीआई बैंक की चैकबुक, एक फीनो पेमेंट बैंक की पीओएस मशीन बरामद हुयी है। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्त विपिन पाल से पूछताछ में पता चला कि वह हरिद्वार में वर्ष 2017 से रह रहा है। वह मात्र कक्षा 10वीं पास है। पिछले कई सालों से केडिट कार्ड, इंश्योरेंस एवं विभिन्न लोन दिलाने के नाम पर फोन के माध्यम से काल कर लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहा है। उसके साथ इस काम में 11 व्यक्ति एक गिरोह बनाकर ऑनलाइन ठगी का कार्य कर रहे थे। सभी को अलग अलग काम दिया गया था। जिसे विपिन पाल द्वारा ही संचालित किया जा रहा था तथा अन्य गिरोह के तीन सदस्यों जिनका काम ऐसा डाटा उपलब्ध कराना होता था जिनके साथ ठगी की जानी है।