नैनीताल। आय से कई गुना अधिक सम्पत्ति के मामले में सतर्कता विभाग के रडार पर आये भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी राम विलास यादव को उच्च न्यायालय से फिलहाल राहत नहीं मिल पायी है। अदालत ने उन्हें बुधवार को विजिलेंस के समक्ष पेश होने और जांच में सहयोग करने के निर्देश दिये हैं और गिरफ्तारी पर रोक के मामले में सरकार को 23 जून तक वस्तुस्थिति स्पष्ट करने को कहा है। गिरफ्तारी से बचने के लिये दायर यादव की अग्रिम जमानत याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उन पर लगाये गये आरोप गलत हैं। विजिलेंस की ओर से उन्हें सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। उनकी सम्पत्ति पुश्तैनी है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि उनके परिवार के सभी सदस्य अच्छी सेवा में हैं। आरोप लगाया कि शिकायकतकर्ता का खुद आपराधिक इतिहास है और उसके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं।
दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा गया कि विजिलेंस टीम की ओर से आरोपी को अपना पक्ष रखने के लिये पर्याप्त मौका दिया गया लेकिन पेश नहीं हुए। अंत में अदालत ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक तो जारी नहीं की लेकिन सरकार को इस मामले में वस्तुस्थिति स्पष्ट करने को कहा है। साथ ही याचिकाकर्ता को भी 22 जून को विजिलेंस के समक्ष पेश होने और जांच में सहयोग करने को कहा है। यादव उत्तर प्रदेश में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। विजिलेंस टीम की ओर से इनके कई ठिकानों पर छापा मारा गया और उन्हें कई अहम दस्तावेज मिले।