हल्द्वानी एक्सप्रेस न्यूज़/नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के चर्चित बनभूलपुरा प्रकरण में सरकारी भूमि पर काबिज 4365 अतिक्रमणकारियों को बुधवार को अंतिम मौका देते हुए दो सप्ताह के अदंर अदालत के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत करने को कहा है। अदालत सबको सुनने के बाद अंतिम फैसला सुनायेगी।
न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ के समक्ष आज हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी और अतिक्रमणकारियों की ओर से दाखिल हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत की ओर इस प्रकरण में पहले ही निर्णय सुरक्षित रख लिया गया था। आज सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अतिक्रमणकारियों की ओर से इस मामले में लगातार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा रहा है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि रेलवे की ओर से उनका पक्ष नहीं सुना गया है। एकतरफा कार्रवाई की जा रही
है। वह कई दशकों से इस भूमि पर काबिज हैं। अदालत ने इसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ मानते हुए निर्णय लिया कि सभी अतिक्रमणकारियों को सुनवाई के लिये एक और मौका दिया जाना चाहिए।
केन्द्र सरकार और रेलवे की ओर से हालांकि इसका प्रतिवाद करते हुए कहा गया कि उच्चतम न्यायालय और उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्देश पर अतिक्रमणकारियों को सुनवाई का पर्याप्त मौका दिया गया है। पीपी एक्ट के तहत सभी अतिक्रमणकारियों की सुनवाई की गयी है। कोई भी अपना दावा साबित नहीं कर पाया।
अंत में अदालत ने अतिक्रमणकारियों को सुनवाई के लिये एक और मौका देते हुए हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह दो समाचार पत्रों में इस संबंध में तत्काल सार्वजनिक नोटिस जारी करे। जिसमें प्रभावित अतिक्रमणकारियों को दो सप्ताह के अंदर अदालत के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत करने को कहा जाये। अदालत सभी पक्षों को सुनवाई का मौका देगी और इसके बाद युगलपीठ अपना निर्णय सुनायेगी।
उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी की ओर से इस मामले को 2015 में पहली बार चुनौती दी गयी। उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 02 नवम्बर, 2016 को रेलवे को 10 सप्ताह के अदंर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिये थे। साथ ही जनहित याचिका को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया था।
उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अतिक्रमणकारी उच्चतम न्यायालय पहुंच गये लेकिन शीर्ष अदालत ने अतिक्रमणकारियों को कोई राहत नहीं दी और उच्च न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखने के निर्देश दिये। याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी की ओर से इस साल पुनः एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि रेलवे की ओर से अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही है।
रेलवे महकमे की ओर से हालांकि जवाब पेश करते हुए कहा गया कि 4358 अतिक्रमणकारियों की सुनवाई कर ली गयी है। कोई भी अपना दावा साबित नहीं कर पाया। नैनीताल जिला प्रशासन को अतिक्रमण हटाने में सहयोग करने के लिये पत्र लिखा गया है। इसके बाद अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इस प्रकरण में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।
इसके बावजूद अतिक्रमणकारी लगातार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते रहे। इसी को देखते हुए अदालत ने अतिक्रमणकारियों का पक्ष जानने के लिये उन्हें अंतिम मौका दिये जाने का निर्णय लिया।
गौरतलब है कि जिला प्रशासन और रेलवे की ओर से बड़े स्तर पर अतिक्रमण हटाने की अंतिम तैयारी की जा रही है। बड़े स्तर पर पुलिस बल की तैनाती व अन्य तैयारियों को अंजाम दिया जा रहा है।
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