
एजेंसी/नैनीताल। उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में पर्यावरण मित्रों की हड़ताल के फलस्वरूप उपजे हालात को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए कहा कि शहर को किसी भी हालात में बधंक नहीं बनाया जा सकता है। अदालत ने बाधा पहुंचाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल अभियोग पंजीकृत करने के निर्देश भी दिये हैं। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में इस मामले में दोपहर दो बजे आपातकालीन सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता दिनेश चंदोला के अधिवक्ता सीके शर्मा की ओर से साेमवार सुबह ही इस मामले को अदालत के संज्ञान में लाया गया। अदालत ने इस मामले पर सुनवाई के लिये भोजनावकाश के बाद का समय तय किया।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि हल्द्वानी नगर निगम के कर्मचारी गत 25 नवंबर से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर गये हैं। जिससे पूरा शहर गंदगी से अटा पड़ा है। कालोनियों व बाजारों में गंदगी के ढ़ेर लगे हैं। डेंगू जैसी घातक बीमारी से पहले ही लोग त्रस्त हैं और अब भारी गदंगी के चलते अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है।याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि निगम प्रशासन की ओर से सफाई के लिये वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है लेकिन हड़ताली कर्मचारियों की ओर से निगम के 400 सफाई वाहनों को अपने कब्जे में ले लिया गया है। जिससे सफाई कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है। यही नहीं हड़ताली कर्मचारियों की ओर से काम में जुटे लोगों से मारपीट भी की जा रही है।

निगम प्रशासन की ओर से पुलिस के आलाधिकारियों को भी पत्र लिखकर कर्मचारियों की सुरक्षा की मांग की गयी है। अंत में अदालत ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए कहा कि शहर को बधंक नहीं बनाया जा सकता है। अदालत ने निगम के अधिकारियों को निर्देश दिये कि सफाई वाहनों को तत्काल अपने कब्जे में लें और बाधा पहंुचाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत करवायें। अदालत ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर इस मामले में 30 नवंबर की तिथि नियत की है
